गीता प्रेस, गोरखपुर >> शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिता शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
|
0 |
भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
श्रीपुराणपुरुषोत्तमाय
नमः
श्रीगणेशाय
नमः
शिवपुराण
चतुर्थ भाग : कोटिरूद्रसंहिता
कथा-क्रम
- चतुर्थ
भाग : कोटिरूद्रसंहिता
-
- द्वादश ज्योतिर्लिंगों तथा उनके उपलिंगों का वर्णन एवं उनके दर्शन-पूजन की महिमा
- काशी आदि के विभिन्न लिंगों का वर्णन तथा अत्रीश्वर की उत्पत्ति के प्रसंग में गंगा और शिव के अत्रि के तपोवन में नित्य निवास करने की कथा
- ऋषिका पर भगवान् शिवकी कृपा, एक असुरसे उसके धर्मकी रक्षा करके उसके आश्रममें नन्दिकेश नाम से निवास करना और वर्ष में एक दिन गंगा का भी वहाँ आना
- प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के प्रादुर्भाव की कथा और उसकी महिमा
- मल्लिकार्जुन और महाकाल नामक ज्योतिर्लिंगों के आविर्भाव की कथा तथा उनकी महिमा
- महाकाल के माहात्म्य के प्रसंग में शिवभक्त राजा चन्द्रसेन तथा गोप-बालक श्रीकर की कथा
- विन्ध्य की तपस्या, ओंकार में परमेश्वरलिंग के प्रादुर्भाव और उसकी महिमा का वर्णन
- केदारेश्वर तथा भीमशंकर नामक ज्योतिर्लिंगों के आविर्भाव की कथा तथा उनके माहात्म्य का वर्णन
- विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग और उनकी महिमा के प्रसंग में पंचक्रोशी की महत्ता का प्रतिपादन
- वाराणसी तथा विश्वेश्वर का माहात्म्य
- त्र्यम्बक ज्योतिर्लिंग के प्रसंग में महर्षि गौतम के द्वारा किये गये परोपकार की कथा, उनका तप के प्रभाव से अक्षय जल प्राप्त करके ऋषियों की अनावृष्टि के कष्ट से रक्षा करना; ऋषियों का छलपूर्वक उन्हें गोहत्या में फँसाकर आश्रम से निकालना और शुद्धि का उपाय बताना
- पत्नी सहित गौतम की आराधना से संतुष्ट हो भगवान् शिव का उन्हें दर्शन देना, गंगा को वहाँ स्थापित करके स्वयं भी स्थिर होना, देवताओं का वहाँ वृहस्पति के सिंह राशि पर आने पर गंगाजी के विशेष माहात्म्य को स्वीकार करना, गंगाका गौतमी या गोदावरी नामसे और शिव का त्रयम्बक ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात होना तथा इन दोनों की महिमा
- वैद्यनाथेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य की कथा तथा महिमा
- नागेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव और उसकी महिमा
- रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग के आविर्भाव तथा माहात्म्य का वर्णन
- घुश्मा की शिवभक्ति से उसके मरे हुए पुत्र का जीवित होना, घुश्मेश्वर शिव का प्रादुर्भाव तथा उनकी महिमा का वर्णन
- शंकरजी की आराधना से भगवान् विष्णु को सुदर्शन चक्र की प्राप्ति तथा उसके द्वारा दैत्यों का संहार
- भगवान् विष्णु द्वारा पठित शिवसहस्रनामस्तोत्र
- भगवान् शिव को संतुष्ट करने वाले व्रतों का वर्णन, शिवरात्रि-व्रत की विधि एवं महिमा का कथन
- शिवरात्रि-व्रत के उद्यापन की विधि
- अनजान में शिवरात्रि-व्रत करने से एक भील पर भगवान् शंकर की अद्भुत कृपा
- मुक्ति और भक्ति के स्वरूप का विवेचन
- शिव, विष्णु, रुद्र और ब्रह्मा के स्वरूप का विवेचन
- शिवसम्बन्धी तत्त्वज्ञान का वर्णन तथा उसकी महिमा, कोटिरुद्रसंहिता का माहात्म्य एवं उपसंहार
-
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book